8 महीने पहले रची थी साजिश, 16 अपराधियों के नाम चिन्हित

 लखनऊ 
अजीत सिंह की हत्या का ताना बाना कोई आठ-10 दिन में नहीं बुना गया। बल्कि बेहद सोची समझी रणनीति के तहत अजीत को लखनऊ में गोलियों से छलनी किया गया। करीब आठ महीने से हत्या की साजिश रची जा रही थी। उसकी हत्या आजमगढ़ में आसानी से करायी जा सकती थी। साजिशकर्ताओं ने उसके जिलाबदर होने पर लखनऊ में ही उस पर हमला करने को कहा। इस हत्याकाण्ड में चार शूटरों और जेल में बंद दो अपराधियों के अलावा 16 नाम चिन्हित कर लिये गये हैं। दावा यह भी है कि पूरी साजिश में इससे ज्यादा अपराधी भी हो सकते हैं। ये सब एक सिरे से अजीत को जल्दी से जल्दी मौत की नींद सुला देना चाहते थे। प्रिंस की गिरफ्तारी और आजमगढ़ से मिली जानकारी पर पुलिस अब यही मान कर तफ्तीश आगे बढ़ा रही है। 

 
आजमगढ़ के एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक जेल में बंद कुंटू और अजीत के बीच दुश्मनी लगातार बढ़ती जा रही थी। दोनों एक दूसरे को देखने की धमकी भी देते रहे। एक-दो सालों में अजीत ने अपना रूतबा काफी बढ़ा लिया था। वह आजमगढ़ में बुलेट प्रूफ गाड़ी से ही चलता था। उसके काफिले में हमेशा तीन-चार गाड़ी रहती थी। आजमगढ़ में वह अपनी सुरक्षा को लेकर बहुत सतर्क रहता था। जब वह जिला बदर हुआ तो लखनऊ में ज्यादा रुकने लगा। साजिशकर्ता पंचायत चुनाव से पहले उसकी हत्या करवा देना चाहते थे। पुलिस का कहना है कि ऐसा करके एक तीर से दो शिकार किये गये। कुंटू को उसकी गवाही से बचना था और गिरधारी को पंचायत चुनाव लड़ना था। दो दिन पहले आजमगढ़ में हिरासत में लिये गये एक अपराधी ने पुलिस को बताया कि अजीत को आजमगढ़ में मरवाना तो आसान था लेकिन हत्या के बाद वहां से निकलना कठिन था। कुंटू और अखण्ड को पता था कि अजीत लखनऊ में अपनी महिला मित्र के साथ अकेले घूमता है। इसके बाद ही लखनऊ में उसकी हत्या करवाने की साजिश रची गई थी। 

Source : Agency

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Name: धीरज मिश्रा (संपादक)

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